मेरे रास्ते मुझे बुलाते हैं……..(my ways call me)

मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ रहगुज़र हैं,

मंजिल नहीं ना तमन्ना-ए-मंजिल।

चलते हैं कदम बेख़ुदी में यूँ ही,

साथ चाहे कोई नहीं पर ख़ुद में ग़ाफिल।

कहाँ कहाँ से दोस्त बनाये थे-कहाँ गये,

तन्हाइयों से पूछते हैं मेरा जलते द़ाग-ए-द़िल।

जोड़ते गये तोड़ते गये-एक तमाशे सा,क्या मिला,

ज़िदगी को फ़कत स़िफर का ह़ासिल।

लोग तो मिलते हैं लेके नाम जुद़ाई का,

सही है-फ़ूल खिलते हैं,तो हैं मुरझाने के काब़िल।

तभी हर मकान नज़र आता है फ़कत मकान,

घर तो अब दिखता नहीं कि घर के अब लोग नहीं रहे क़ायल?

पैसा,शोहरत की धुन में नींदें भी गुम इनकी खनक में,

चैन तो सो गया बँसी की धुन लिये कि अब नहीं आती आवाज़-ए-पायल।

उफ्फ,म़हफिल से उकता गया है मेरा मैं,

खामोशी की गूँज बनी अब साथी-ए-द़िल।

अब हर म़हफिल,माज़ी,रहऩुमा ख़ुदा हाफ़िज,

अलव़िदा अब सभी को जो थे कभी मेरा स़ाहिल।

याद-ए-दोस्ती ठीक,पर दोस्त अलव़िदा,दुश़्मनों की दुश़्मनी अलव़िदा,

अलव़िदा ये पुराना म़ुकाम कि पुकारे है मेरा राह़िल।

फ़कत इतना काफ़ी कि पैरों के नीचे जमीं,

सिर पे आस्माँ की छतरी और आव़ारा से ब़ादल।

हाँ कह रहा है द़िल सब को अलव़िदा, प्यार फूलों का सहेजे,

उन तू तू मैं मैं को अलव़िदा रख दी ताक पे ,कस के गाँठ बना के पोटली-ए-आँचल।

Written by Aruna Sharma.

18.06.2019. 11.25 AM

All copyrights are reserved by Aruna Sharma.

22 thoughts on “मेरे रास्ते मुझे बुलाते हैं……..(my ways call me)

  1. क्या क्या लिख देते हैं आप।।।। दिल को छूती पंक्तियाँ। उम्दा लेखन।
    लोग तो मिलते हैं लेके नाम जुद़ाई का,

    सही है-फ़ूल खिलते हैं,तो हैं मुरझाने के काब़िल।

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