वो सूखा सा बरगद का पेड़…

देख के उस बरगद के पेड़ को,

जिन्दगी की दास्ताँ याद आती है।

जब तलक हरा भरा था,

ना जाने कितने परिंदो की चहचहाहट याद आती है।

सूख गया ना पेड़,अब किसी को जरूरत नहीं।

हर शाख़ पे हरियाली थी,कहीं जाने की जरूरत न थी।

हर गाँव में खटिया पे बैठे बूढ़े ज़िस्म,

अब वही बरगद का सूखा पेड़ है-क्या फ़रक पड़ता है।

पंछी जो पाले पोसे,वो दूर कहीं उड़ गये,

लेके पंखों में दम,अब क्या रहा बूढ़ी काया से दम घुटता है।

पूछती है हर धुंधली सी नजर खुद से,

मर मर के जिये जीवन भर किसी के लिये,अब अपने लिये मरने का मन करता है।

कौन आयेगा यहाँ,ऐ ग़ालिब!!ना वो जायेंगे आपकी म़यकशीं तरह,

कौन जाये,जौक़!! दिल्ली की गलियाँ छोड़ कर,पेशानी पे लिखा मिलता है।

जो चले गये खुद से पहले ख़ुदा के द़रबार में,बड़ी तक़दीर वाले थे,

अब वही तकदीर से इल्त़िजा है कि कर करम,हम भी उसी राह के मुसाफ़िर थे।

हाँ,इक त़ाकीद करते है उड़ जाने वाले अपने परिंदों से,

अपने आलों में इक तस्वीर-ए-बरगद सजा लेना।

हर दिन रात जिन्दगी के हर लम्हों पर झुर्रियों की परत चढ़ेगी,

वो लम्हा य़कीनन तो आयेगा तब याद में ऩम-ए-शब़ कर लेना।

Written by Aruna Sharma.26.06.2021;12:27AM.

ये मकान..

तूही बता दे मेरे साथी कि ये घर है कि मकान,

बिकते हैं हर जज़्बात क्या वो है दुकान।

दिन भर के थके हारे लौटते हैं जहाँ,डरे डरे से सो जाते हैं ,

सराय है ये ,क्यों ना बना दें उनके लिये एक मचान।

यहाँ हर करीबी करता है जज़्बातों की द़ावत,अश़्क बनते हैं म़य के ज़ाम।

उफ्फ,मेरे प्यारे साथी!! ले चल मुझे इस समन्दर के पार।

मर ही जायेंगे यहाँ मेरे प्यार के त़सव़्वुर,मेरे यार।

सुन मेरे द़िलदार!!देख वो समन्दर के पार,

जहाँ आसमान मिल रहा है गले समन्दर से हो ब़ेकरार,

इस जहाँ से दूर बना ले आशियाँ बादलों से उस पार।

वो देख मँजर समन्दर पर,कि एक बड़े से आफ़ताब को दे रहा है रहने का द़यार,

हमारी तो बहुत छोटी हस्ती कि हमारे वास्ते भी यकिऩन होगा हस्ब़े व़िसाले बह़ार।

ये ईंट पत्थरों के मकानों में रहते हैं पत्थरों की मूरत-ए-यार,

इनमें है फ़कत इक रौब़ मालिकाना,बस नहीं बसता प्यार।

इक शै’ है ज़लजले की कि आया ,तो होगा उनका जीना दुश़्वार।

ख़ैर कर भी दें उनका शुक्रिया फिर छोड़ सारी मोह माया कि यहाँ नहीं मिलेगा बेच़ैन द़िल को क़रार।

सारी उलझनें प्यार की वहीं जाके सुलझ जायेंगी करिश्माई हाथों से ज्यों म़ू-ए-यार।

अपना तो जो है बस ख़ुदा का दिया खुली ज़मी-औ-आसमान का द़यार।

आ चल ,चलें हम उस जहाँ में जहाँ रहते है चाँद तारे ब़ेशुमार।

Written by Aruna Sharma.22.06.2021;10.40PM

म़ू-ए-यार=प्रियत्तमा के सिर के बाल।

Mu-e-yaar==hair of beloved.

Waiting..

I have left the word of waiting for anybody

Only for waiting room at railway station,kept this for that strange buddy

I have loved but not promised to take betrayal

May be he is most in tension but i am not responsible

I like to take sleep and see sweet dreams

Which is for me like a meditation

Deep sleeping take me to my God and try to save me from all unwanted webs of worst longing’s enmeshed.

Oh.my world of love is far away from any confusions

The concept of my love is so much pure and transparent as soul

Like blue sky where heavenly feeling are situated near to Supersoul

Those guy,i have left at railway station, is unknown to me

Any train will come and take that confused guy to his misty destination to ever flee

Here my heart will dance on Rumi’s spritual songs with mandolin

My loneliness will be happy by living far away from the maddening crowd as free dancing on my own bendolin.

Written by Aruna Sharma.18.06.2021;11.57PM

EMBRACE

Hola,my dear friends!! I have tried to sketch the feeling in love-Embrace….Are you feeling just like that.plz give me your precious opinions🌹

With love.❤

be well.stay safe.

By Aruna Sharma.22.06.2021;11.40ÀM

HAPPY WEEKEND🌺🌻🌼🌷🌹

IDENTIFICATION IS NOT NECESSARY IN THE LOVE’S WORLD,MY DEAR DEW!!🌹

(A diamond is best to give his identification)

I was searching you here and there,

But could not find your introduction,i went everywhere.

My longings are imprisoned in your closet like my love’s diamond.

And i know-only my soul could go there to get with blue mind.

Oh dear dew!! You are a most inspiring diamond for mine,

It will be my good luck if i go there where is your love’a shrine.

Now,i think what is in the name may be you are Dew or Tamara,

If i have the feeling the love for you,

I know- love never demands the identification of any beloved hearts,

And says to all illusions-SAYONARA.

Now i am feeling my guilty,plz give me offence,

If you not but indeed God will do to stand me as bowing near your fence.

Because of this i will be an eclipsed moon for you forever,

And my cursed soul will wander as thirsty in desert in searching of water.

Written by Aruna Sharma.09.06.2021.

10.41AM.

🌹🌹🌹🌴🌴🌴🌴🌹🌹🌹

ग़ैरत….

आज कल ग़ैरत को अपने व़ुजूद पे श़र्म आती है,

जैसे वो ठेले पे बिकने का ही फ़कत करम फरमाती है।

चवन्नी ,अठन्नी में हर कहीं एक किलो मिल जाती है,

जज़्बात की ऐसी तैसी,बिन तुले मिल जाती है।

अब तो अपने करीबी ही आस्तीन का साँप नजर आने लगे हैं,

कि मेरी जिन्दगी का आराम हराम कर जश़्न मनाने लगे हैं।

इक ज़माना था कि ग़ैरत के नाम पर त़ेग-ओ-खँजर चल जाते थे,

और आज ग़ैरत एक पागल अहसास है,जिसके जलवे सर्कस सा बन जाते हैं।

अब तो दौलत ही इमान धर्म ,बहुतेरे आ जाते संभालने को जैसे ठेकेदार जन्म से बन जाते हैं।

आज चल तो रही बेगैरतों की पुर ज़ख्म पुरवाई है,

और गैरत की कर ऐसी तैसी,ये एक बुराई है,

वो देखो,इक बन्दा या अनेकों ,पर बड़े सभ्य और नेक,

जिनहोने श़रम खुले आम बेच खाई है।

ओह-देख के ये सारा मँजर,द़िल इस कदर दुखा कि

अश़्कों के समन्दर में यूं डूबा कि मैं हसीं तसुव्वरातों को भूल गई,

कि मेरे ख़्वाबीदा लफ़्ज सभी परकटी चिड़िया सी छटपटा गई।

या ख़ुदा!!मुझे इस खुदगर्ज म़हफिल से महरूम ही रख,

बस साथ मेरे मेरी पुरसुकून तन्हाई ही रख ।

यहां हर किसी को पार जाने को इक सहारा चाहिये ,

और सभी को मेरी कश़्ती में छेद करने का इशारा चाहिये।

मैं गुमनाम ही सही साहिल तक पहुंच जाऊँगी,

सफ़ीना गर भँवर में हो,तेरा नाम लेके निकाल लाऊँगी।

मुझे नहीं चाहिये ये महफ़िल जहाँ मेरा प्यार हर लम्हे ठोकर खाता है,

ऐ ख़ुदा!! तू ही बता वो सहारा सा रेतीला वीराना,

वहाँ कोई ना आ सके और रात की तन्हाई में मेरा प्यार चमके हीरे सा दीवाना।

Written by Aruna Sharma.05.06.2021;10.30PM