तेरी ऩिगाहों के आईने में…..

आ एक बार फिर वही गुऩाह कर लूँ।

तेरी उन निग़ाहों में ख़ुद का सिगांर कर लूँ।

फिर तू है और तेरे ख़ुदा की मर्जी,

फिर अपने म़ाजी का इस्तक़बाल कर लूँ।

मेरी निगाहों में फ़कत छाया है हमेशा से अक्स तेरा,

मैं भी हूँ वहीं अभी तलक,क्योंकर इंकार कर दूँ।

मुझे सोना है एक लम्बी सी गहरी नींद,

चल,तेरी पुरसुकून गोद का बिस्तरा तैयार कर दूँ।

आज द़िल की जिद्द है ,देके मुहब्बत की क़सम,

तेरे ग़ुरूर को चकनाचूर कर दूँ।

प्यार तो प्यार है ,नज़र ना चुरा कि मेरी रूह है रक्कासा,

आ म़हबूब मेरे कि तेरी महफ़िल घुघँरूओं की ख़नक से भर दूँ।

इन्तज़ार तो किस्मत में लिखी है, ख़ुदा रूठे कि हो तेरी रूस्वाई,

आ एक बार तेरे सँग मिल यादों का म़जार तैयार कर दूँ।

फिर सो जाऊँगी हमेशा के लिये ,तेरी म़ुहब्बत का तकिया बना,

एतराज़ ना कर मेरी ज़ान,तू आना ज़रूर फ़ातिहा पढ़ने,ये व़ादा तो ज़रूर ले लूँ।

मत सोचना कि क्या ब़ला गले आ पड़ी,क्या वो तेरे कहे अनकहे प्यार के इशारे मेरी सिर पे पड़ी ब़ला ना थी,

तेरी तसल्ली के लिये झूठा क्यों इज़हार कर दूँ।

ना ख़ुदा हाफ़िज ना अलव़िदा,हुई है ये ख़ता तुझसे भी मुझसे भी,

ओह स़लामत रहने दे मेरी म़ासूम मुहब्बत,कैसे यूँ किसी पे ऩिसार कर दूँ।

Written by Aruna Sharma. Images are taken from google.

26.04.2019. 11.20pm.

(All copyrights are reserved by Aruna Sharma)