
यूँ एक धुन दिल पे हावी हो जाती है,
जब दिल अपनों से ही नाश़ाद हो जाता है।
कुछ कतरे अश्कों के,दिल चिन्दी चिन्दी हो जाता है,
तब मेरा ख़ुदा और उसका इम्तिहाँ मेरे दिल में जाला सा बुन जाता है।
ओह,मकड़ी सी उलझी हूँ,क्या मेरा उस से कोई नाता है।
हर मँजर धुधंला सा घर बाहर,नहीँ कोई रिश्तों का खाता है।
प्लेटफॉर्म पर बैठी मैं,मुंतजिर सी,क्या स़ुकून -ए-सफ़र इजलासा है।
बैठ ही जाऊँ किसी कूपे में,ना जाने सफ़र-ए-रेल किस मँजिल पे पहुँचाता है।
नाश़ाद सही मायूस नहीँ,मेरे संग संग खुदाई छाता है।
रहना इस संगदिल जहाँ से बेहतर,स़फर अनजान मँजिल से ही रूहानी नाता है।
Written by Aruna Sharma.25.05.2022.11:42pm
As my dear Rumi suggests me-



Oh ,my train is coming🚋🚋🚋🚊🚊🚊do i want to say good bye all💔💜💔
Beautifully written, Aruna.
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A lot of thanks,my dear!!🌹❤🌹
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अतिसुन्दर
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धन्यवाद🌺🙏🌺
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