ग़र मेरा ख़ुदा दे मुझे इज़ाजत,
थोड़ी आव़ारागर्दी कर लूँ क्या?
हैव़ानियत के ब़ेशरम म़हफिल में खड़े हुजरे-मुज़रेवालियों में,
मैं भी इक रक़्कासा बन सरे-आम सभी को नंगा नचवा
लूँ क्या?बड़े शान-औ-शौकत का दिखावा कर लूट रहे हैं आम बन्दों को,
एक -एक कर सभी दिख़ावों की धज्जियाँ उड़ा लूँ क्या?
देख ली बहुत घर बाहर हर ताल़्लुकात की झूठी तसल़्लियाँ,
ऊब गया दिल देख चेहरे के झूठे ऩकाब,
हर किसी को बेपर्दा कर दूं क्या?
म़ाना कि मेरे हज़ार दुश़्मन पैदा हो जायेंगे,
क्यों न एक आग लगा सब को राख़ कर दूं क्या?
मज़हब बस नाम का रहा है ,मेरे मौला!!
हर मज़हब को एक ही नाम दे दूं क्या?
इस जहाँ में खून करने की इज़ाजत मिल जाती है सभी को,
सारा ख़ून एक ज़ाम पे ज़ाम भर सभी को पिला दूं क्या?
फिर इक मज़हब इंसानियत का तेरे नाम होगा,
द़िल कहता है-ये क़ारगुज़ारी भी कर डालूं क्या?
इस आव़ारा से जहाँ मे,मुतम़इन रहें शरीफ़ बन्दे,
श़राब पीके होश खोके सभी ज़ुदा ज़ुदा ख़ुदाओं का क़त्ले-आम़ कर दूं क्या?
बस तेरी रज़ा की त़ौहीन ना हो,इन्साँनियत के ख़ुदा!!
तू ही बता कि इक दरिय़ा लाल रंग का बना दूं क्या?
बहुत से शोलें दहक रहे हैं द़िल में,ख़ुदा-ए-जहाँ!!कुछ आग अपनी भी दे कि हैव़ानियत का जँगल जला दूं,हाँ।
Written by Aruna Sharma.25.08.2020
1.43AM
My all dear friends!! You can understand about my feelings hidden behind this poem-Mr.TRUMP THREATENED FOR USING ATOM BOMB ON CHINA,IN INDIA-OUR NEW COMER ACTOR SHUSHANT SHINGH RAJPUT MURDER ON JUNE 14TH BY BOLLYWOOD MAFIA ,CHINA’S POLICY AGAINST THE INTERNAL PEACE.OH ,I THINK-WHAT IS HAPPENING IN THIS BEAUTIFUL WORLD.WHAT ARE POLITICIANS AND MAFIA (MAY BE IN ANY SHAPE) WANTING? SO MUCH DEPRESSED SITUATION.I ASK WHAT IS THE FAULT OF ALL PUBLIC OF ALL COUNTRIES.🤔🤔🤔🤔🤔MAY GOD HELP ALL HUMAN RACES AND GIVE THEM SECURITY.
क्यों न एक आग लगा सब को राख़ कर दूं क्या?
…. इसमें दो प्रश्न नहीं होता । इसे ऐसे लिखा जा सकता है–
“एक आग लगा सब को राख़ कर दूं क्या?”
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बिल्कुल सही कहा नीतेश जी।सब मज़हब और सियासत को इक साथ आग में झोंक में देना चाहिये।
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