ऐ हवा, जरा धीरे से चल,
नन्हें पौधों की पत्तियाँ कहीं झड़ ना जायें।
ऐ दरिया जरा धीरे से बह,
कहीं ये ताश का महल ढह ना जायें।
पहली बार कर रहा द़िल तुझसे गुज़ारिश
बड़ी ऩाजुक कलियाँ हैं जज़्बातों की कि खिलने से पहले मुरझा ना जायें।
बादलों से कह दो कि धीमे से बरसे
कि सैलाब़ में कहीं दो प्यार भरे दिल बह ना जायें।
वो समन्दर काफ़ी हैं कि उठते ज़्वार,
घटते पानी और ऩमकीन हवाओं से काय़नात की रौनक बढ़ जाये।
यहाँ द़िल अभी मश़गूल है अपनी नन्हीं बगिया में
अश्कों से सींच रहें कि उम्मीदों का गुल खिल जायें।
मालूम तो है ना कि दो बूँद आँखों की फूल सी,
ग़र इब़ादत मे गिरें तो वहीं मंदिर मस्जिद बन जायें।
मेरे ख़ुदा को और क्या चाहिये फ़कत ये फूल,
बस उसके द़रबार में दुआ सी क़ुबूल हो जायें।
जानता है द़िल के तुम सब भी उसके इश़ारे पे चल रहे,
बस थोड़ा सा रुक जाओ ऐसा ना हो सब ताज़महल हो जायें।
Written by Aruna Sharma.
25.08.2019. 11.15pm
All copyrights are reserved by Aruna Sharma.
Image are taken from Google.
(Dedicated to my lovely and favourite student named Anoop who is in Jaipur Hospital because of having a serious exident.God bless him.i pray for him with my heart.i believe that God will save him.Amen.
My dear student Anoop.
ऐ हवा जरा रुक के ,धीरे धीरे गुजर,
तेरी राहों में एक महल है ताश का,
जहाँ अरमान अभी अभी हिलोरे ले रहे हैं,
उसे पत्थरों का
ताजमहल ना समझ।
ऐ पल जरा रुक जा,
अभी-अभी तो जिंदगी खिली है,
वसन्त सी,
उसे पतझड़ ना कर,
ऐ हवा जरा रुक के ,धीरे धीरे गुजर।
LikeLiked by 1 person
वाह ,आपने तो मेरी कविता की खूबसूरती में चार चाँद लगा दिये।जो मैं कहना चाह रही थी वो आपने साफ तरीके से कह दी।वास्तव में यह कविता मैंने अपने एक बहुत मासूम छात्र के लिये लिखी थी जो अस्पताल मे तीन हफ्ते से अपने पैर का इलाज करवा रहा है जयपुर में।बड़ा खतरनाक एक्सीडेन्ट उसके बाइक के साथ हुआ जब दो बाइक वालों ने उसे टक्कर मार दी।टाँग कटने की नौबत पैदा हो गयी थी।लेकिन टांग कटने से बच गई पर अभी वह अस्पताल में है।भगवान उसकी रक्षा करे,मैं तो सिर्फ दुआ ही कर सकती हूं।
LikeLiked by 2 people
Loved it 🥰
LikeLike
So much thanks,dear!!
LikeLiked by 1 person
its always my pleasure ma’am
LikeLike
बहुत ही दर्दनाक और दुखद। आपकी पीड़ा और भावनाओं को समझ सकता हूँ। मैं भी विद्यार्थी रहा हूँ और शिक्षक की भावनाओं, एवं प्रेम को भली भांति समझता हूं। ईश्वर उसे नवजीवन दे।
सच अभी अभी तो वसन्त खिला था। ऊपरवाला इयन बेरहम नही हो सकता। सावधानी हटी दुर्घटना घटी।
LikeLiked by 1 person
ऐ हवा जरा रुक के ,धीरे धीरे गुजर,
तेरी राहों में एक महल है ताश का,
जहाँ अरमान अभी,अभी हिलोरे ले रहे थे,
उसे पत्थरों का
ताजमहल ना समझ।
ऐ पल जरा थम जा,
अभी-अभी तो जिंदगी खिली थी वसन्त सी,
अभी हँसने दे,
महकने दे,
उसे अभी पतझड़ ना कर।
ऐ खुदा पता है
तेरा कानून बहुत सख्त है,
मगर ये भी पता है
तूँ बहुत ही रहमदिल है,
मेरी एक दुआ कुबूल कर,
ख्वाहिशें दी है,उड़ान मत रोक,
किसी का सहारा है पाँव मत तोड़,
देख पलकें इसकी बंद है,
धड़कन किसी और की थमी है,
सुना है दुआ पत्थरों में भी जान डाल देती है,
तूँ इतनी बेरहम ना बन,
तूँ इतनी बेरहम ना बन।
LikeLiked by 1 person
आपकी संमवेदनापूर्ण अभिव्यक्ति के लिये धन्यवाद।कृप्या उस मासूम के लिये ईश्वर से प्रार्थना कीजियेगा।यह दुर्घटना असावधानी के कारण नहीं बल्कि कुछ दुश्मनों के षडयन्त्र का परिणाम थी।
LikeLike
आपकी हमदर्दी के लिये शुक्रिया…….
LikeLike
Deep and touching…. 😊👌👌
LikeLike
A lot of thanks,dear!!
LikeLiked by 1 person